Indian Society and Women
भारतीय समाज व महिलाएं
DOI:
https://doi.org/10.31305/rrijm.2021.v06.i12.018Keywords:
Feminism, liberalization, globalization, irony, constitution, scope, consumption, patriarchyAbstract
The condition of women had become very pathetic in ancient times, especially when the society changed from matriarchal to patriarchal society, since then women were marginalized and this is the reason that from ancient to modern times, women were treated as second-class citizens. being seen. In modern times, when India was independent, the situation had worsened further. Even after 73 years of independence, women are seen only as a responsibility and not as a complete citizen. In the traditional structure of Indian society, more emphasis is being given to women only to live under the protection of son, husband and father, whereas in the Indian Constitution, both men and women have been given equal rights. Even after getting equal rights, women are very backward socially, politically and economically. In Indian society, women are still being seen as a commodity, a commodity, and a toy for entertainment. Due to which today women are becoming victims of incidents of molestation, domestic violence, assault, rape etc. on a large scale. There is a dire need to change this attitude being adopted towards women so that women can also step towards paying attention to their overall development.
Abstract in Hindi Language
प्राचीन काल में महिलाओं की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई थी खासकर जब समाज मातृप्रधान से पितृसत्तात्मक समाज में परिवर्तित हुआ तभी से महिलाएं हाशिए पर चली गई और यही कारण है कि प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक महिलाओं को दोयम दर्जे के नागरिक के रूप में ही देखा जा रहा है। आधुनिक काल में जब भारत परतंत्र था उस समय तो स्थिति ओर ज्यादा खराब हो गई थी ।आजादी के 73 वर्षों के बावजूद भी महिलाओं को केवल एक जिम्मेदारी के रूप में देखा जाता है न कि एक संपूर्ण नागरिक के रूप में। भारतीय समाज के परंपरागत ढांचे में केवल महिलाओं को पुत्र ,पति और पिता के संरक्षण में जीवन यापन करने पर अधिक बल दिया जा रहा है जबकि भारतीय संविधान में औरत और पुरुष दोनों को एक समान अधिकार दिए गए हैं । समान अधिकार मिलने के बाद भी सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से महिलाएं काफी पिछड़ी हुई है। भारतीय समाज में महिलाओं को आज भी एक वस्तु ,माल दिल बहलाने वाला खिलौना के रूप में ही देखा जा रहा है। जिसके कारण आज बड़े स्तर पर छेड़खानी ,घरेलू हिंसा, मारपीट बलात्कार इत्यादि की घटनाओं की महिलाएं शिकार हो रही हैं। महिलाओं के प्रति अपनाए जा रहे इस नजरिए नजरिए को बदलने की सख्त जरूरत है ताकि महिलाएं भी अपने संपूर्ण विकास की तरफ ध्यान देने की ओर कदम बढ़ा पाए।
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