Rural life in post-independence Hindi novels

स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी उपन्यासों में ग्रामीण जनजीवन

Authors

  • Almesha Swami Research Scholar, Hindi Department, Rajasthan University, Jaipur

DOI:

https://doi.org/10.31305/rrijm.2023.v08.n03.040

Keywords:

freedom, rural, novel, independence

Abstract

After independence, the novel genre has developed rapidly. Novelists have depicted both Indian village and urban life. Indian culture is basically an agricultural culture, the background of which is eternal village life, but the rural environment, influenced by capitalism, industrialization, consumerist culture, technology and technology, is losing its original form. Today's common man, wearing the cloak of post-modernity, is eager to adopt urban ways. Urbanism has entered rural life. The sub-culture affecting the values of typical rural life can be seen even in the fields, barns and footpaths. Due to urbanization, industrialization and liberalization, rapid changes are taking place in rural life. Due to the open thoughts of today's generation coming of age in the open air of modernity, the atmosphere of the village is also changing. Due to new ideas, new ways of life are being adopted. As a result, today's village is taking a new shape.

Abstract in Hindi Language:

स्वतंत्रता पश्चात् स्वतंत्रता उपन्यास विधा का तेजी से विकास हुआ है। भारतीय ग्राम एवं नगरीय दोनों जीवन का उपन्यासकारों ने चित्रण किया है। भारतीय संस्कृति मूलतः कृषि संस्कृति है जिसकी पृष्ठभूमि सनातन ग्राम जीवन है किन्तु पूँजीवाद, औद्योगीकरण, उपभोक्तावादी संस्कृति, तकनीकि एवं प्रौद्योगिकी से प्रभावित ग्रामीण परिवेश अपना मूल स्वरूप खोता जा रहा है। उत्तर आधुनिकता  का लबादा ओढ़े आज का आम आदमी नगरीय तौर-तरीके अपनाने को आकुल है। ग्राम्य जीवन में शहरीपन समा चुका है। ठेठ देहाती जीवन मूल्यों पर चोट करती अपसंस्कृति का दर्शन खेत-खलिहानों व पगडंडियों तक में हो जाता है। शहरीकरण, औद्योगीकरण, उदारीकरण के कारण ग्रामीण जनजीवन में तेजी से बदलाव हो रहे हैं। आधुनिकता की खुली हवा में जवान होती आज की पीढ़ी के खुले विचारों के कारण गांव की आबो-हवा भी बदल रही है। नये विचारों के कारण नयी जीवन पद्धतियां अपनायी जा रही हैं। परिणामस्वरूप आज का गांव नये रूप में आकार ले रहा है।

Keywords: स्वतंत्रता, ग्रामीण, उपन्यास, स्वतंत्रता।

References

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Published

14-03-2023

How to Cite

Swami, A. (2023). Rural life in post-independence Hindi novels : स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी उपन्यासों में ग्रामीण जनजीवन. RESEARCH REVIEW International Journal of Multidisciplinary, 8(3), 344–347. https://doi.org/10.31305/rrijm.2023.v08.n03.040