Analysis of the impact of communal reform movements on Indian Nationalism
भारतीय राष्ट्रवाद पर सांप्रदायिक सुधार आन्दोलनों के प्रभाव का विश्लेषण
DOI:
https://doi.org/10.31305/rrijm.2024.v09.n07.012Keywords:
India, Nationalism, Reform Movement, RenaissanceAbstract
Reform movements had a very deep connection with Indian nationalism. Since Indian leaders believed that social and religious renaissance was necessary before political independence, they initiated religious and social movements. These reform movements had a decisive impact on Indian nationalism and national consciousness and these movements proved to be the forerunners of India's political awakening. The religious reformers of India knowingly or unknowingly linked religion with politics and national ideology. In fact, social, religious and political activities cannot be separated from the national stream. This is the reason why the second half of the nineteenth century is considered the most important period in the history of the rise of Indian nationalism.
Abstract in Hindi Language: सुधार आन्दोलनों का भारतीय राष्ट्रवाद से अत्यन्त गहरा सम्बन्ध था। चूंकि भारतीय नेताओं का यह विचार था कि राजनीतिक स्वतन्त्रता से पूर्व सामाजिक व धार्मिक पुनर्जागरण आवश्यक था, इसलिए उन्होंने धार्मिक व सामाजिक आन्दोलनों का सूत्रपात किया। भारतीय राष्ट्रीयता एवं राष्ट्रीयता चेतना पर इन सुधार आन्दोलनों का निर्णायक प्रभाव पड़ा तथा ये आन्दोलन भारत की राजनीतिक जागृति के पूर्वगामी सिद्ध हुए भारत के धर्म सुधारकों ने जाने अनजाने में धर्म को राजनीति व राष्ट्रीय विचारधारा से सम्बद्ध कर दिया था। वस्तुत सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक क्रियाकलापों को राष्ट्रीय धारा से पृथक नहीं किया जा सकता। यही कारण है कि उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध को भारतीय राष्ट्रवाद के उदय के इतिहास में सर्वाधिक महत्वपूर्ण काल माना जाता है।
Keywords: भारत, राष्ट्रवाद, सुधार आन्दोलन, पुनर्जागरण।
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